Saturday, September 13, 2014

... बेफ़िक्र ज़िंदादिली!

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'या रब' ये अपनी ज़िंदादिली,
ढ़ीठ है, कमबख्त जाती ही नहीं,
बे़तकल्लुफ, बेफ़िक्र फिरती मिली,
हुआ करे जो भी, रहे ज़िंदादिल ही!
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